श्रीगणेशपुराण-उपासना-खण्ड-अध्याय-05 August 14, 2025 | aspundir | Leave a comment श्रीगणेशपुराण-उपासना-खण्ड-अध्याय-05 ॥ श्रीगणेशाय नमः ॥ पाँचवाँ अध्याय सुधर्मा-च्यवन-संवाद अथः पञ्चमोऽध्यायः सुधर्माच्यवन संवाद सूतजी बोले — [ हेमकण्ठ ने] तत्पश्चात् (राजा से विदा लेकर) माता के पास आकर स्नेह से व्याकुल बुद्धि से उससे कहा कि हे माता! मुझ निरपराध का त्याग आप कैसे कर रही हैं?॥ १ ॥ पुत्र ( हेमकण्ठ )-ने कहा — यह… Read More
श्रीगणेशपुराण-उपासना-खण्ड-अध्याय-04 August 14, 2025 | aspundir | Leave a comment श्रीगणेशपुराण-उपासना-खण्ड-अध्याय-04 ॥ श्रीगणेशाय नमः ॥ चौथा अध्याय सोमकान्त का वनगमन अथः चतुर्थोऽध्यायः सोमकान्ततपोवनगमनं सूतजी बोले — राज्याभिषेक सम्पन्न होने पर उन राजा सोमकान्त ने ब्राह्मणों का पूजन किया और उन्हें अंगभूत दक्षिणा के साथ दस सहस्र गौएँ तथा मणि, मोती और मूँगे प्रदान किये। उन्होंने उन सबको हाथी, गौएँ, घोड़े, धन, रेशमी परिधान देकर सन्तुष्ट… Read More
श्रीगणेशपुराण-उपासना-खण्ड-अध्याय-03 August 14, 2025 | aspundir | Leave a comment श्रीगणेशपुराण-उपासना-खण्ड-अध्याय-03 ॥ श्रीगणेशाय नमः ॥ तीसरा अध्याय राजा सोमकान्त का राजकुमार हेमकण्ठ को सदाचार और राजनीति की शिक्षा देना अथः तृतीयोऽध्यायः सोमकान्तस्य पुत्रेभ्य उपदेशः, आचारादि निरूपणम् सूतजी बोले — तत्पश्चात् राजा ने उठकर पुत्र को दाहिने हाथ से पकड़कर राजमहलके अग्रभाग में [स्थित उस कक्ष में] प्रवेश किया, जहाँ वे सर्वदा मन्त्रणा करते थे; जहाँ… Read More
श्रीगणेशपुराण-उपासना-खण्ड-अध्याय-02 August 14, 2025 | aspundir | Leave a comment श्रीगणेशपुराण-उपासना-खण्ड-अध्याय-02 ॥ श्रीगणेशाय नमः ॥ दूसरा अध्याय गलित कुष्ठ से पीड़ित राजा सोमकान्त का वन में जाने का निश्चय करना अथः द्वितीयोऽध्याय सोमकान्तस्य अङ्गेभ्य गलितकुष्ठरोगस्य उद्भवः, वन गन्तुं च विचारः सूतजी बोले — हे ऋषियो ! आप सब अब सोमकान्त के दुष्कृत्य को सुनें, उस धर्मशील राजा को पूर्वजन्मों के कर्मफल से अकस्मात् अत्यन्त दुःखदायी… Read More
श्रीगणेशपुराण-उपासना-खण्ड-अध्याय-01 August 14, 2025 | aspundir | Leave a comment श्रीगणेशपुराण-उपासना-खण्ड-अध्याय-01 ॥ श्रीगणेशाय नमः ॥ पहला अध्याय ऋषियों और सूतजी के संवाद के प्रसंग में गणेशजी की महिमा और राजा सोमकान्त के चरित्र का वर्णन अथः प्रथमोऽध्यायः सोमकान्त वर्णनं नमस्तस्मै गणेशाय ब्रह्मविद्याप्रदायिने । यस्यागस्त्यायते नाम विघ्नसागरशोषणे ॥ ब्रह्मविद्या के प्रदाता उन गणेशजी को नमस्कार है, जिनका नाम अगस्त्यमुनि 1 की भाँति विघ्नरूपी समुद्र को सुखाने… Read More
श्रीगणेशपुराण – एक परिचय August 13, 2025 | aspundir | Leave a comment श्रीगणेशपुराण – एक परिचय अत्यन्त प्राचीन काल की बात है, सौराष्ट्रदेश के प्रसिद्ध देवनगर में शास्त्र – मर्मज्ञ सोमकान्त नामक धर्मपरायण एक नरेश थे। वे अतिशय सुन्दर, विद्वान्, धनवान्, तेजस्वी एवं पराक्रमी थे। उनकी बुद्धिमती, अनिन्द्य सुन्दरी, धर्मपरायणा सती पत्नी का नाम सुधर्मा था । सुधर्मा के गर्भ से हेमकण्ठ नामक अत्यन्त सुन्दर, शूर, पराक्रमी… Read More
श्रीगणपति-ध्यान- मंजरी August 13, 2025 | aspundir | Leave a comment श्रीगणपति-ध्यान- मंजरी गणपति सिन्दूराभं त्रिनेत्रं पृथुतरजठरं हस्तपद्यैर्दधानं दन्तं पाशाङ्कुशेष्टान्युरुकरविलसद्बीजपूराभिरामम्। बालेन्दुद्योतमौलिं करिपतिवदनं दानपूरार्द्रगण्डं भोगीन्द्राबद्धभूषं भजत गणपतिं रक्तवस्त्राङ्गरागम् ॥ जो सिन्दूरकी-सी अंगकान्ति वाले और त्रिनेत्रधारी हैं; जिनका उदर बहुत विशाल है; जो अपने चार करकमलों में दन्त, पाश, अंकुश और वर-मुद्रा धारण करते हैं; जिनके विशाल शुण्ड-दण्ड में बीजपूर (बिजौरा नीबू या अनार) शोभा दे रहा है;… Read More
श्रीगणेश के विविध मन्त्र August 13, 2025 | aspundir | Leave a comment श्रीगणेश के विविध मन्त्र १ – श्रीमहागणपतिस्वरूप प्रणव- मन्त्र — ‘ॐ’। २- श्रीमहागणपति का प्रणव- सम्पुटित बीज-मन्त्र — ‘ॐ गं ॐ ।’ ३- सबीज गणपति-मन्त्र — ‘ गं गणपतये नमः ।’ ४- प्रणवादि सबीज गणपति-मन्त्र — ‘ॐ गं गणपतये नमः ।’… Read More
श्रीमहाभागवत [देवीपुराण]-अध्याय-81 August 12, 2025 | aspundir | Leave a comment श्रीमहाभागवत [देवीपुराण]-अध्याय-81 ॥ ॐ ऐं ह्रीं क्लीं चामुण्डायै विच्चे ॥ इक्यासीवाँ अध्याय कलियुग के मानवों का स्वभाव तथा भगवान् शंकर की उपासना और शिवनामसंकीर्तन की महिमा अथः एकाशीतितमोऽध्यायः श्रीवेदव्यासजैमिनिसंवादे श्रीमहादेवदेवर्षिनारदप्रश्नोत्तरकथनं श्रीमहादेवजी बोले — वत्स ! भगवान् शंकर की पूजा का माहात्म्य मुझसे भक्तिभाव तथा ध्यानपूर्वक संक्षेप में सुनिये ॥ १ ॥ कलियुग में सभी मानव… Read More
श्रीमहाभागवत [देवीपुराण]-अध्याय-80 August 12, 2025 | aspundir | Leave a comment श्रीमहाभागवत [देवीपुराण]-अध्याय-80 ॥ ॐ ऐं ह्रीं क्लीं चामुण्डायै विच्चे ॥ अस्सीवाँ अध्याय रुद्राक्ष का माहात्म्य तथा उसके धारण का फल अथः अशीतितमोऽध्यायः श्रीमहादेवनारदसंवादे रुद्राक्षमाहात्म्यवर्णनं श्रीमहादेवजी बोले — मुनिश्रेष्ठ ! अब मैं रुद्राक्ष की महिमा तथा उसके परम पवित्र और गोपनीय आख्यान का संक्षेप में वर्णन कर रहा हूँ, आप ध्यान से सुनिये ॥ १ ॥… Read More